दर्शनीय स्थल



हापुड गाजियाबाद मुरादाबाद रोड पर स्थित हापुड नगर को राजा हरिसिंह ने हरिपुर नाम से सन् 983 ई0 में बसाया था । यहां अनाज की मंडी व गुड की मंडी है। 1857 में यहां जिस वृक्ष पर फांसी का फंदा लटकाकर अंग्रेजो ने देशभकतो को लटकाया था वहां शहीदों का स्मारक है और प्रतिवर्ष शहीद मेला यहां लगता है। हापुड के पापड देश भर मे मशहूर है।

गढमुक्तेश्वर हापुड मुरादाबाद रोड पर स्थित यह हापुड जिले का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। पौराणिक एवं धार्मिक रूप मेे इसे खाण्डववन के नाम से जाना जाता है। यहां उमा कैलाश पर्वत से स्नानार्थ शिव सहित आती थी।यहां परशुराम ने शिवलिंग की स्थापना की। यहां शिवगणो को पिशाच योनि से स्वयं भगवार शिव ने आकर मुक्ति दिलायी ।

पिलखुआ हापुड मुरादाबाद रोड पर स्थित यह कस्बा देश भर मे खादी और अन्य वस्त्रो के उत्पादन के लिये विख्यात है। पिलाखुवा के आसपास राजपूतो के 144 ग्राम है इनमे से 60 गांव तंवरो के और 84 गहलौत राजपूतों के है इसलिये इसे साठा-चैरासी नाम से पुकारा जाता है।

धौलाना गाजियाबाद से गुलावठी जाने वाली सडक पर यह स्थित हैं।मराठो ने यहांॅ मिट्टी का किला भी बनवाया जिसके ध्वंसावशेष गाॅव के उत्तरपूर्व में अभी भी है।अंग्रेजो ने यहां के 14 देशभक्तो को फाॅसी पर चढाकर 14 कुत्तो के साथ जमीन मे दफन करवा दिया।

पूठ यह गंगा तट पर बसा एक वीरान गाॅव महाभारत काल मे पुष्पावति नाम से बहुत प्रसिद्ध रहा था।कौरव यहाॅ पर गंगा स्नान के लिये आते थे। यहॅा पास में लुहारी गाॅव में राजा कर्ण का महल था। यहाॅ वह पर्वाे पर आकर ब्रहामणों को सोना दान करते थे। यहाॅ मराठो के बनाये मन्दिर और मिट्टी का किला के ध्वंसावशेष आज भी हैं।

मुकीमपुर कस्बा पिलखुवा से लगभग 4 किलोमीटर दूर यह देशभक्तो का गाॅव है। 1857 में राजा गुलाबसिह इस क्षेत्र के क्रातिकारियों के सिरमौर थे। उन्होने यहाॅ एक गढी बनाई थी। गढी के कुओ मे अंग्रेजो से लडने के लिये 60 मन बारूद इकट्ठा किया था।जब अंग्रेजो को पता चला तो उन्होने आक्रमण किया जब यहाॅ की बारूद में पलीता लगा तो छह फुट चैडी गढी की दीवारें हवा में उछलने लगी।